शिवप्रिया की शिव सिद्धि…2

WhatsApp Image 2020-02-18 at 6.29.45 AM

शिवप्रिया की शिव सिद्धि…2
हाई डाइमेंशन में प्रवेश: शिवदूत ने राह दिखाई

सभी अपनों को राम राम
【वह रास्ता इस दुनिया का नही था। राह में दैवीय संगीत था। दिव्य सुगंध थी। मनोरम हरियाली और उपवन थे। साधुवेश धारी मददगार शिवप्रिया को थर्ड डाइमेंशन से बाहर ले गए। निश्चित ही वे शिवदूत थे।】
आज हम शिवप्रिया जी की साधना के बहाने शिव गुरु जी की उदारता पर बात करेंगे। शिव गुरु अपने शिष्यों का बड़ा ध्यान रखते हैं। शिवप्रिया के मामले में उन्होंने ऐसा प्रत्यक्ष किया। न सर्फ गहन साधना की प्रेरणा दी, बल्कि स्वप्न में उन्हें उच्च साधना का गुप्त विधान सिखाया।
शिवप्रिया अपनी साधना मुम्बई आश्रम में कर रही हैं। मै हरिद्वार में था। उन्होंने अपने द्वारा बनाये यन्त्र का फोटो मुझे वट्सअप किया। जिसे देखकर मै दंग रह गया। बहुत पहले हिमालय साधना के दौरान एक सिद्ध साधक द्वारा इसका उपयोग होते देखा था।
भस्म, लौंग, इलायची, गूगल, चावल से निर्मित होने वाले इस यंत्र का वर्णन विद्वानों द्वारा सर्वथा गुप्त रखा जाता है। विशिष्ट साधनाओं में ही इसका उपयोग होता है।
हिमालय में जो सिद्ध साधक उपरोत्र यन्त्र के द्वारा साधना कर रहे थे, वे लगभग मौन रहते थे। बहुत कम खाते थे। कच्ची सब्जियां व बेलपत्र ही खाते थे। कुछ अन्य पहाड़ी पत्ते खा लेते थे। प्रतिदिन 8 से 12 घण्टे मन्त्र जप करते थे। साधना स्थल पर शिवलिंग के रूप में एक पत्थर रखा था। गणेश के रूप में किसी पेड़ की जड़ रखी थी। गुरु के रूप में पहाड़ी गूलर का फूल रखा था। उनके साधना स्थल में कोई और नही जा सकता था। उनका अधिकांश समय साधना स्थल में ही बीतता था, रात में वही जमीन पर सो जाते थे।
मेंटल स्टेट में वे हर समय उच्च आयाम से जुड़े रहते थे। दूर दराज की बातें बता देते थे। मैने देखा तो नही किंतु वहां के अन्य साधुओं का कहना था कि उनके गुरु हिमालय में अदृश्य होकर विचरण करते हैं। उनके बताए विधान से ही वे शिव सिद्धि कर रहे थे।
स्वप्न के साधु द्वारा शिवप्रिया को बताया साधना विधान काफी कुछ उपरोक्त सिद्ध साधक की साधना से मिलता जुलता है। साधना के लिये उन्होंने फोन से दूरी बना ली है। विदेश यात्रा की इच्छा छोड़ दी है। मै जब भी चेक करता हूँ तब उनकी उर्जा हाई डाइमेंशन से जुड़ी मिलती है।
हम बात कर रहे हैं शिव गुरु जी की अपने शिष्यों के प्रति उदारता की। साधना के दूसरे दिन ही उच्च आयाम में प्रवेश के लिये शिवप्रिया को शिवदूतों की सहायता मिल गयी। जाहिर है ऐसा शिवगुरु जी की इच्छा पर ही हुआ होगा।
बिना अदृश्य सहायता के हाई डाइमेंशन में प्रवेश सम्भव नही। जो गिने चुने सिद्ध साधक उच्च आयाम में प्रवेश कर पाए हैं, उन्हें वहां तक ले जाने में अशरीरी संतों या देवदूतों का ही वर्णन मिलता है।
सफलता के लिये पहले दिन की साधना से पहले मैने शिवप्रिया की साढ़े तीन लाख उर्जा नाड़ियों का प्रवाह प्रबल कर दिया था। कुण्डलिनी को उर्जा चक्रों की शक्ति के उपयोग के लिये उत्तेजित किया। षड़चक्रो को जाग्रत किया। साथ ही उनकी चित्रा नाड़ी को जाग्रत किया।
सूक्ष्म शरीर में शक्तियों का प्रवाह सर्वोच्च होने से शिवप्रिया ने पहले दिन थर्ड डाइमेंशन की अनुभूतियों का सम्पूर्ण आनंद उठाया।
उनकी साधना अत्यंत सुखद रही।
मेरा अनुमान था कि वे 10 से 12 दिन में थर्ड डाइमेंशन का भेदन कर लेंगी। मगर इसे शिवप्रिया की अद्वितीय साधना क्षमता और शिवगुरु की इच्छा ही कहेंगे कि उन्होंने दूसरे दिन ही थर्ड डाइमेंशन का भेदन करके उच्च आयाम की राह पा ली।
यह मेरे लिये अत्यंत सरप्राइजिंग है।
उनकी साधना अनुभूति मात्र कल्पना नही है। यदि विज्ञान के पास कोई सक्षम उपकरण होता तो शिवप्रिया की ऊर्जाओं का परीक्षण करके उनकी दिव्य उपलब्धियों को आसानी से प्रमाणित किया जा सकता था।
दूसरे दिन मन्त्र जप के दौरान किसी ने उनकी चेतना को छुआ। वे साधुवेश में थे। शिवप्रिया की चेतना को अपने साथ लेकर वे चल दिये।
वह रास्ता इस दुनिया का नही था। राह में दैवीय संगीत था। दिव्य सुगंध थी। मनोरम हरियाली और उपवन थे। साधुवेश धारी मददगार उन्हें थर्ड डाइमेंशन से बाहर ले गए। निश्चित ही वे शिवदूत थे।
शिवदूत उन्हें किस दुनिया में ले गए। वहां भगवान शिव किस रूप में मिले। उनकी आंखों से ऐसा क्या निकला जिसने शिवप्रिया को रुला दिया। वे घण्टों सिसक सिसककर रोती रहीं। इस बारे में आगे बात करेंगे।
शिव शरणं।

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

%d bloggers like this: