सुनसान के साधक…8

sunsan ke sadhak8

राक्षस से युद्ध करके अदृश्य हो गए सिद्ध साधक

सभी अपनों को राम राम
हिमालय की शिवालिक पर्वत माला।
मणिकूट पहाड़ियों के खतरनाक जानवरों से भरे घने जंगल।
उनके बीच स्थित मौनी बाबा गुफा।
इस गुफा को विश्व स्तरीय ख्याति प्राप्त है।
इस बार की हिमालय साधना के कई पड़ाव यहां बीते।
1992 तक गुफा में सिद्ध संत रहते थे।
उन्हें मौनी बाबा के नाम से जाना जाता था।
वे मौन रहते थे। कितने समय से मौन थे, यह कोई नही जानता। जिसने उन्हें जब से देखा मौन ही देखा। साथ में काली स्लेट और चॉक रखते थे। वही उनकी जुबान थी। जो कहना होता उसी पर लिख देते।
वे सिद्ध थे।
उनके समकालीन विश्व में उस स्तर के सिर्फ 6 और सिद्ध महापुरुष थे। पूरी दुनिया में उनको मिलाकर उस स्तर के सात सिद्ध। ऐसा वे अपने शिष्यों को स्लेट में लिखकर बताते थे।
यहां उनके चमत्कार के अनगिनत किस्से कहे सुने जाते हैं।
मौनी बाबा ने सिद्धियों के लिये इस क्षेत्र को चुना था।
संदर्भवश बताता चलूं सिद्धियों के लिये यहाँ की ऊर्जाएं बेमिशाल हैं। जलवायु की अनुकूलता और पर्वतीय ऊर्जाओं की सकारात्मकता के कारण युगों से साधक सिद्धियों के लिये इस क्षेत्र को चुनते आये हैं।
भगवान शिव ने इस क्षेत्र में 60 हजार साल ध्यान साधना की। यहीं उन्हें विषपान की पीड़ा से मुक्ति मिली। माता पार्वती ने यहां 40 हजार साल साधना की। महाराज लक्ष्मण ने यहां कठोर साधना की। भरत ने यहां साधना की। भगवान राम भी साधना के लिये यहाँ आये।
ऋषि वशिष्ठ सहित तमाम ऋषियों, मुनियों, सिद्धों को साधना के लिये इस क्षेत्र ने आकर्षित किया। और अभी भी आकर्षित करता है।
आज हम यहां के सिद्ध मौनी बाबा की बात कर रहे हैं। बताया जाता है कि उनका भंडारा भी सिद्ध था। उनके भंडारे में कढ़ी चावल का प्रसाद हमेशा उपलब्ध रहता था। कितने ही व्यक्ति कभी भी उनके स्थान पर पहुंच जाएं। सभी को कढ़ी चावल मिलते थे। आश्चर्य की बात थी कि अचानक पहुंचने वाली लोगों की भीड़ को भी भर पेट प्रसाद मिलता था। उस भंडारे में कभी भी कढ़ी चावल की कमी नही होती थी। इससे कोई फर्क नही पड़ता था कि रसोई बनाते वक्त कितने लोगों की गिनती हुई और खाते वक्त कितने गुना लोग बढ़े।
मौनी बाबा के पास समस्या समाधान के लिये आने वाले लोगों की संख्या काफी थी। समाधान के तौर पर वे प्रायः लोगों को उनकी ऊर्जा के अनुकूल मन्त्र दिया करते थे। उन्हें मन्त्रों का दिव्य ज्ञान प्राप्त था। खुद भी अनगिनत मन्त्र सिद्ध कर रखे थे। उनके मन्त्र जपकर लोग समस्या मुक्त हो ही जाते थे।
मौनी बाबा अक्सर वहां आने वाले लोगों के घरों में निकट भविष्य में होने वाली मृत्यु का सुनिश्चित दिन समय बता दिया करते थे। और कहते थे मृत्यु का कोई उपाय नही होता। पर उससे डरना मत।
एक बार मौनी बाबा ने अपने शिष्यों को स्लेट पर लिखकर एक तारीख बताई। और बताया कि उस दिन यहां एक अदृश्य राक्षस आएगा। उससे उनका युद्ध होगा। उस युद्ध में बादल फटेगा। जिससे भारी तबाही होगी। इसलिये तुम लोग किसी तरह उन दिनों के लिये यह रास्ता बंद करा दो।
बताते हैं कि बाबा के शिष्य ऐसा न कर सके।
वह तारीख आई।
बादल फटा। बड़ी तबाही हुई। कई लोग पानी में बह गए। अदृश्य राक्षस के साथ बाबा का युद्ध कोई देख न सका। बाबा अपनी गुफा के भीतर चले गए। लोग कहते हैं कि वे भीतर ही भीतर कहां चले गए किसी को नही पता।
गुफा में ही अदृश्य हो गए।
उनकी गुफा बड़ी रहस्यमयी है। गुफा के भीतर एक और गुफा है। उसके भीतर एक और गुफा है।
लोग कहते हैं बाबा गुफा के अदृश्य मार्ग से हिमालय की बर्फीली पहाड़ियों पर चले गए। अब वहीं तपस्यारत हैं।
क्रमशः
शिव शरणं!

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