सावन में अपने भीतर शिव उत्पन्न करें
5 दिन 40 मिनट की साधना करें
सभी अपनों को राम राम।
भारी बरसात।
पहाड़ों पर जीवन और मुश्किल।
थोड़ा नीचे उतर आया हूँ।
क्योंकि वहां साधना के घण्टे 15 से घटकर 9 हो गए थे।
सुबह तड़के साधना का आरम्भ। कुछ घण्टे बाद बेलपत्र का नाश्ता।
फिर साधना। 4 घण्टे बाद फलाहार। फिर रात सोने तक साधना।
पहाड़ों में थोड़ा नीचे उतर आने से दिनचर्या में कुछ खास बदलाव नही हुआ है, बस परिस्थितियों से संघर्ष कम हो गया है।
सुरक्षित तो पहले भी था अब सुविधाजनक भी हूं।
ये जानकारी इसलिये क्योंकि कुछ सुधी साधक मुझे लेकर लगातार चिंता में थे। किन स्थितियों में साधना चल रही है जानने की बार बार इच्छा जता रहे थे।
थोड़ा सुविधाजनक स्थिति में आ गया तो सोचा चलो थोड़ा समय साधकों पर खर्च कर लिया जाये।
आने वाले सोमवार से 5 दिन तक मै उन साधकों के साथ
शिव जागरण साधना
करूँगा जिन्होंने पिछले 3 महीनों में संस्थान में किसी भी साधना या रुद्राभिषेक या जलाभिषेक या शिवार्चन का संकल्प दिया। इनमें यक्षिणी और अप्सरा साधना करने वाले उच्च साधक भी शामिल होंगे।
सम्भव हो सका तो मै उन सभी साधकों की सूची भी जारी करूँगा। अन्यथा आप को खुद तो पता ही है कि आपने उपरोक्त में से किसी का संकल्प भेजा था।
शिव जागरण साधना प्रतिदिन 40 मिनट होगी।
उस समय मै उपरोक्त सभी साधकों के सूक्ष्म शरीर को अपने सूक्ष्म शरीर में आमंत्रित करके स्थापित करूँगा। उन्हें शिव सहस्त्र नाम जाप में शामिल करूँगा। साथ ही पहाड़ों में स्थित एक सिद्ध शिवलिंग पर शिवार्चन में भी।
इस अनुष्ठान के मध्य मै साधकों के सूक्ष्म शरीर को विस्तारित करूँगा। उनके अनाहत चक्र में स्थित शिव तत्व को सक्रियता देने के लिये शिव सहस्त्र नाम की ऊर्जाओं का वहां अच्छादन करूँगा।
यह विधि शिव तत्व के जागरण में बड़ी सहायक सिद्ध होती है।
अनाहत में शिवत्व का जागरण यानि कि अपने भीतर शिव का जागरण, ऐसे में व्यक्ति कब शिव शक्तियों से युक्त हो जाता है पता भी नही चलना।
अपने भीतर शिव के जागरण का पता तब चलता है जब व्यक्ति की सोची बातें फलित होने लगती हैं। उसमें अपने साथ दूसरों का भी जीवन सवांरने की क्षमताएं सामने आ जाती हैं।
साधक के भीतर शिव के जागरण की महिमा शब्दों में व्यक्त नही की जा सकती। यह विशाल अनुभव का विषय है।
सावन माह की ऊर्जाएं आहत चक्र के बहुत अनुकूल होती हैं। इस लिये शिव जागरण साधना का इस माह बड़ा महत्व होता है।
साधना का समय सुबह 8 बजे से 8.40 बजे तक रहेगा।
यदि आप उपरोक्त में शामिल हैं तो आगामी सोमवार से 5 दिन तक इस समय साधना में जरूर बैठें।
पूर्व मुख होकर बैठें।
लाल आसान बिछाएं।
घी का दीपक जला लें।
एक लोटे में आधा दूध आधा पानी मिलाकर पास रखें।
मदार के 4 पुष्प साथ रखें।
4 बेलपत्र रखें।
गुड़ का एक टुकड़ा रखें।
1 पैकेट ब्रेड का रखें।
11 रुपये साथ रखें।
उक्त सामग्री पूर्व से तैयार कर लें।
कुछ देर गायत्री मंत्र जपते हुए प्राणायाम करें। उसके बाद
भगवान शिव से कहें हे शिव आप मेरे गुरु हैं मै आपका शिष्य हूं, मुझ शिष्य पर दया करें। गुरुदेव आपको साक्षी बनाकर मै एनर्जी गुरु राकेश आचार्या जी द्वारा किये जा रहे शिवत्व जागरण अनुष्ठान में सूक्ष्म रूप से शामिल हो रहा हूँ, आप इसे स्वीकार करें साकार करें, मेरे भीतर शिव का जागरण कर दें। आपका धन्यवाद!
अपने सूक्ष्म शरीर से शिवत्व जागरण का आग्रह करें। कहें मेरे दिव्य सूक्ष्म शरीर मै आपको एनर्जी गुरुजी द्वारा सम्पन्न किये जा रहे शिव जागरण अनुष्ठान में सम्मिलित होने की अनुमति देता हूँ, आप इस अनुष्ठान का पुण्य फल प्राप्त करके मेरे भीतर इसी क्षण शिव का जागरण सुनिश्चित करें।
आपका धन्यवाद!
उसके बाद शिवोहम मन्त्र से आग्रह करें। कहें हे दिव्य मन्त्र आप मेरी भावनाओं से जुड़कर सिद्ध हो जाएं और मुझे शिवोहम बना दें।
आपका धन्यवाद!
उपरोक्त सारी प्रक्रिया 8 बजे से पहले पूरी कर लें।
ठीक 8 बजे साधना के लिये बैठ जाएं।
मन ही मन
शिवोहम मन्त्र का जप करें।
अनुष्ठान में मेरे साथ होने की कामना करते रहें।
कुछ साधक वहीं बैठे बैठे उस स्थान तक को देख लेंगे, जहां मै अनुष्ठान संपन्न कर रहा हूँगा।
साधना 8.40 बजे पूरी हो जाएगी। उसके बाद जल दूध का लोटा, मदार पुष्य, बेलपत्र, गुड़, ब्रेड का पैकेट, 11 रुपये लेकर पास के किसी शिव मंदिर में जाएं। वहां दूध मिला जल शिवलिंग पर अर्पित करें। मदार पुष्प और बेलपत्र अर्पित करें। गुड़ से भोग लगा दें।
ब्रेड का पैकेट और 11 रुपये मन्दिर के पुजारी को दान स्वरूप दे दें।
घर वापस आकर अपनी नित्य की दिनचर्या आरम्भ करें।
शिव शरणं।