17 जुलाई से अप्सरा साधना आरम्भ

apsara 17 july

 

17 जुलाई से अप्सरा साधना आरम्भ

राम राम जी, मै रजत.
आपके लिये अच्छी खबर है.
गुरू जी ने 17 जुलाई से अप्सरा साधना का मुहूर्त दे दिया है.
गुरू जी हिमालय साधना में हैं. वे इस बार हिमालय के क्षेत्र में गंगा जी की साधना कर रहे हैं.
इसके लिये उन्होंने गंगोत्री से हरिद्वार तक के विभिन्न स्थानों को साधना स्थल के रूप में चुना है. उनकी साधना अभी कुछ माह और चलेगी. लगातार गहन होती जा रही साधना के बीच वे सावन भर फिर से मौन रहेंगे.
इस बीच शिवप्रिया दीदी अप्सरा साधकों का सहयोग करेंगी.
अप्सरा मंत्र और अप्सरा लोक से साधकों की औरिक कनेक्टिविटी शिवप्रिया दीदी सम्पन्न करेंगी.
17 जुलाई 19 को प्रीति योग में अप्सरा साधना का मुहूर्त तय हुआ है. गुरू जी ने मुहूर्त व साधना विधान भेजा है. आगे उसे ध्यान से पढ़ें, समझें और अपनायें.
सभी अप्सरा साधक पूरे उमंग और उत्साह के साथ इसके लिये खुद को तैयार कर लें.
अप्सरा सिद्धि यंत्र सभी के पास पहुंच चुके हैं.
उसे गले में पहनकर साधना करनी है.
यंत्र के साथ मिली कुमकुम बूटी सामने चावल की ढेरी बनाकर उस पर स्थापित करें. उसी के सामने बैठकर मंत्र जप करना है.
मंत्र आप सभी को पहले से मालुम है.
रोज 21 माला मंत्र का जप करना है. माला स्फटिक की होगी. जिसके पास माला न हो वे इसे किसी ज्वेलरी की दुकान से खरीद लें.
साधना तीन दिन की (17, 18, 19 जुलाई को) होगी.
सारी तैयारी करके रात लगभग 10 बजे एकांत कमरे में साधना करने बैठें. साथ में प्रतिदिन गुलाब की दो माला रखें. गुलाब के कुछ फूल रखें. दो जोड़े मीठा पान रखें. दूध से बनी मिठाई रखें. आसन लाल या पीला रखें. कपड़े सफेद नये या धुले हुए पहनें. गुलाब का कोई इत्र कपड़ों में डालें।
कमरे में गुलाब की सुगन्ध वाली धूप बत्ती या रूम फ्रेशनर का उपयोग करें।

साधना विधि…
1. सामने थोड़े चावल रखें. उस पर सिद्ध कुमकुम बूटी स्थापित कर दें. बूटी से कहें दिव्य बूटी मेरी भावनाओं से जुड़कर सिद्ध हों. मेरी साधना साकार हो इसलिये ब्रह्मांड से अनवरत दैवीय उर्जायें मुझ पर प्रवाहित करें. आपका धन्यवाद.
2. सरसों के तेल का दीपक जलायें. उसमें थोड़ा कपूर और दो इलाइची (हरी वाली) डाल दें. दीपक से कहें दिव्य दीपक मेरी साधना की सफलता हेतु मेरी उर्जाओं का विस्तारण करें. उन्हें अप्सरालोक की उर्जाओं के सापेक्ष बना दें. आपका धन्यवाद.
3. स्फटिक माला को धो लें. फिर उससे आग्रह करें. हे दिव्य माला मेरी भावनाओं से जुड़कर मेरे लिये सिद्ध हो जायें. मेरे द्वारा किये जा रहे मंत्र जप को शुद्ध सिद्ध और सुफल करें. आपका धन्यवाद.
4. सिद्ध अप्सरा यंत्र को हाथ में लेकर सिद्धि का आग्रह करें. कहें दिव्य अप्सरा यंत्र आपको मेरे लिये सिद्ध किया गया है, आप मेरी भावनाओं के साथ जुड़कर मेरे द्वारा की जा रही अप्सरा साधना को सफल बनायें. मेरे अनाहत चक्र के जागरण हेतु आपको तैयार किया गया है। इस हेतु एनर्जी गुरूजी द्वारा की गई प्रोग्रामिंग के मुताबिक मेरे अनाहत चक्र को साधना के दौरान हर पल हर क्षण चंद्र ज्योत्सना अप्सरा की उर्जाओं से जोड़कर रखें. मेरे मंत्र जप की उर्जाओं को विस्तारित करके अप्सरा तक पहुंचायें. अप्सरा को आकर्षित करके मेरे समक्ष तक लायें. आपका धन्यवाद.
उसके बाद यंत्र को अनाहत चक्र के पास गले में धारण कर लें.
5. अप्सरा से सिद्धि का आग्रह करें. कहें हे सौंदर्य की देवी चंद्र ज्योत्सना अप्सरा आपको मेरा नमन है. मै अपने गुरू भगवान शिव को साक्षी बनाकर आपके सिद्धि मंत्र का जप कर रहा हूं. मेरे द्वारा किये जा रहे मंत्र जप को शुद्ध, सिद्ध और सुफल करके मेरे प्रेम निवेदन के रूप में स्वीकार करें और साकार करें. मुझे सशरीर अपना दिव्य सानिध्य प्रदान करें. आपका धन्यवाद. उसके बाद अप्सरा चंद्र ज्योत्सना के नाम से मीठे का भोग लगाएं।
6. भगवान शिव से साधना की सफलता का आग्रह करें. कहें हे शिव आप मेरे गुरू हैं मै आपका/आपकी शिष्य हूं. मुझ शिष्य पर दया करें. आपको साक्षी बनाकर मै अप्सरा सिद्धि साधना कर रहा/रही हूं. इसकी सफलता हेतु मुझे दैवीय सहायता और सुरक्षा प्रदान करें. आपका धन्यवाद.
7. पंच देवों से सुरक्षा की मांग करें. कहें *हे पंच देव मै मेरी साधना की सफलता हेतु आप मुझे और मेरे परिवार जनों को दैवीय सहायता और सुरक्षा प्रदान करें. आपका धन्यवाद.
उसके बाद नीचे लिखा पंचदेवों का मंत्र पांच बार पढ़ें.
मंत्र- सदा भवानी दाहिनी सम्मुख रहें गणेश, पांच देव रक्षा करें ब्रह्मा विष्णु महेश.
8. उसके बाद चन्द्र ज्योत्सना सिद्धि मन्त्र से अप्सरा सिद्धि का आग्रह करें। कहें- हे दिव्य चन्द्र ज्योत्सना अप्सरा सिद्धि मन्त्र आप मेरी भावनाओं से जुड़कर सिद्ध हो जाएं, मुझे अप्सरा सिद्धि प्रदान करें। आपका धन्यवाद।
9. अपने सूक्ष्म शरीर से मन्त्र जागरण का आग्रह करें। कहें- मेरे तन, मन, मस्तिष्क, आभामंडल, सभी ऊर्जा चक्रों, कुण्डलिनी, मेरे हृदय सहित समस्त अंगों और 33 लाख से अधिक रोम छिद्रों आप सब चन्द्र ज्योत्सना सिद्धि मन्त्र के साथ जुड़ जाएं, उसके बीज मन्त्रों को अपने अंदर स्थापित करके जाग्रत हो जाएं, मेरे साथ मिलकर इस मन्त्र का जप करके अखिल अंतरीक्ष साम्राज्य को गुंजायमान करके आनन्दित कर दें। मुझे अप्सरा सिद्धि हेतु सक्षम बनाएं।

उसके बाद गुलाब की एक माला खुूद पहन लें. एक मीठा पान का खुद खा लें. फिर आंखें बंद करके मंत्र जप शुरू करें.
कोशिश करें कि एक ही बार में 21 माला पूरी हों.
परंतु यदि बीच में पैर, कमर में अकड़न या दर्द के कारण उठना पड़े तो कुछ देर टहल कर पुनः मंत्र जप आरम्भ करें.
यदि लघुशंका आदि के लिये जाना पड़े तो दोबारा मन्त्र जप शुरू करने से पहले ऊपर लिखे संकल्प वाक्य पुनः दोहराएं।
प्रतिदिन मन्त्र जप पूरा होने के बाद अप्सरा यंत्र गले में धारण किये ही सो जायें. ताकि आपका अनाहत चक्र लगातार कई घण्टे देवी के संपर्क में बना रहे।
साधना के दिनों में ब्रह्मचर्य का पालन करें.
मंत्र जप के दौरान जब दूर से घुंघुरुवों की आवाज आये या जब नारी स्वर में किसी की मोहक हंसी की आवाज सुनाई दे तो विचलित न हों. जप जारी रखें.
जब आस पास किसी के चलने का अहसास या किसी के पास बैठा होने का अहसास हो तो या जब लगे कि किसी ने आपको छुवा है तो विचलित न हों. जप जारी रखें.
जब किसी मोहक सुगंध का अहसास हो तो भी विचलित न हों. मंत्र जप जारी रखें.
तीसरे दिन जब देवी के सामने आ जाने का अहसास हो तो पास रखी गुलाब की माला उन्हें अर्पित करें. फिर पान अर्पित करें. और देवी से हमेशा साथ रहने का वचन लें. उनसे कहें *हे सौंदर्य की देवी चंद्र ज्योत्सना अप्सरा आपको नमन है, आप आज से सदैव मेरे साथ रहें. मेरी इच्छा पर सदैव मुझे अपने सानिध्य का सुख प्रदान करें.
इससे अप्सरा सिद्धि सुनिश्चित होती है.
खुद पर और भगवान शिव पर विश्वास करके उत्साह और उमंग के साथ साधना सम्पन्न करने से सफलता अवश्य मिलेगी।

इन दिनों संस्थान के आचार्यों द्वारा एकादश (अलग अलग पदार्थों से 11) रुद्राभिषेक किये जा रहे हैं।
गुरु पूर्णिमा पर पूरे होंगे।
साधना सिद्धि और समृद्धि सिद्धि में इनका बड़ा महत्व होता है।
जो साधक अप्सरा या यक्षिणी सिद्धि साधना कर रहे हैं उन्हें निःसंदेह एकादश रुद्राभिषेक कराने चाहिये।
एकादश रुद्राभिषेक सिद्धियां अर्जित करने में बड़े सहायक होते हैं।

सबका जीवन सुखी हो, यही हमारी कामना है
शिव शरणम्

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