कुंडलिनी शक्ति पर पृथ्वी तत्व का जमाव
सभी अपनों को राम राम
मृत्युंजय शक्तिपात के अगले चरण में उर्जा चक्रों की सफाई होनी चाहिये. आभामंडल में उर्जा चक्रवात उत्पन्न करके उसकी सभी परतों की सफाई अच्छी तरह से की जानी चाहिये. ताकि साधक की उर्जा विकार मुक्त हो सके. उसके मन में उत्साह और उमंग उत्पन्न हो.
शक्तिपात करने वाले विद्वान इस प्रक्रिया पर सर्वाधिक ध्यान देते हैं.
आभामंडल की सफाई के बाद कुंडलिनी शक्ति को उत्तेजित किया जाना चाहिये. उसके लिये मूलाधार चक्र से नीचे दोनो पैरों के बीच में पृथ्वी तत्व की उर्जा को अधिक मात्रा में एकत्र किया जाना चाहिये.
यह क्रिया दबाव बनाने वाली होती है. सो साधक को इसकी प्रतिक्रिया की पूर्व जानकारी अवश्य दे दी जानी चाहिये. पृथ्वी तत्व के दवाब के दौरान कई बार मानसिक और शारीरिक बेचैनी होती है. कई बार विभिन्न अंगों पर भारी दबाव महसूस होता है. एेसी स्थिति में कुछ साधक घबरा जाते हैं. उन्हें लगता है कि उनके द्वारा अपनायी जा रही प्रक्रिया में कोई चूक हो रही है और उनके साथ कुछ गलत हो रहा है. घबराहट में वे शक्तिपात का पूरा लाभ नही उठा पाते.
कुंडलिनी स्थान पर पृथ्वी तत्व की लाल उर्जाओं का एकत्रीकरण करने के बाद मूलाधार चक्र को उत्तेजित किया जाना चाहिये. लेकिन उससे पहले सभी उर्जा चक्रों की सफाई सुनिश्चित कर लेनी चाहिये. अन्यथा उर्जा चक्रों की पंखुड़ियों पर जमी दूषित उर्जायें शक्तिपात के नतीजों को बिगाड़ सकती हैं.
शक्तिपात का पूर्ण लाभ मिले इसके लिये सभी साधक खुद को आलोचनाओं से बचाये रखें. भोजन दान नियमित करते रहें. विद्या दान भी जरूर करें.
सबका जीवन सुखी हो, यही हमारी कामना है.
शिव शरणं