मृत्युंजय शक्तिपात-2

6 शत्रुओं का निष्कासन


Shaktipatसभी अपनों को राम राम
शक्तिपात के प्रथम चरण में आभामंडल की ऊपरी परतों की सफाई होती है. आभामंडल की 6 बाहरी परतों में 6 तरह की दूषित उर्जायें शत्रुवत सक्रिय होती हैं. जिसके कारण लोगों का जीवन ठहर सा जाता है. योग्यता क्षमता मेहनत लगन और ईमानदारी के परिणाम नही मिल पाते. शत्रुवत सक्रिय ये उर्जायें प्रारब्ध, ग्रह नक्षत्र, वास्तु, पितृ और देवबाधा से उत्पन्न होती हैं. इनकी दूषित उरजायें आभामंडल को ऊपर से सघनता के साथ घेरे रहती हैं. जिसके कारण ब्रह्मांड से आने वाली जीवन दायी उर्जाओं को अंदर प्रवेश करने में कड़ा संघर्ष करना पड़ता है.
जब जीवन दायी उर्जायें आभामंडल के भीतर नही जा पातीं तो परिणाम असफळताओं के रूप में सामने आते हैं.
शक्तिपात के समय सबसे पहले इसी अवरोध को हटाया जाता है. विद्वान इसे 6 शत्रुओं का निष्कासन कहते है. इनके हटने के बाद ही व्यक्ति ईश्वर द्वारा प्रदत्त शक्तियों का उपयोग कर सकता है. सफल हो सकता है.
अगले चरण में आभामंडल की ऊपर से 12 परतों की सफाई की जाती है. जिनमें उपरोक्त 6 परतें और उसके बाद की 6 परतें शामिल होती हैं. यह चरण भी अत्यंत महत्वपूर्ण होता है.
यहां मनः स्थिति से दूषित हुई उर्जायें मौजूद होती हैं. जो बनते काम बिगाड़ने में जुटी रहती हैं. विद्वान इन्हें संघर्षकारी उर्जायें कहते हैं. क्योंकि ये लोगों के जीवन में संघर्ष उत्पन्न करती हैं.
कल मृत्युंजय योग शक्तिपात के दौरान साधकों के आभामंडल से संघर्षकारी उर्जाओं को हटाया जाएगा.
दूसरे चरण के दौरान साधकों को मन में उत्साह उमंग उत्पन्न होती लगेगी. बंद आंखों से उन्हें उर्जाओं के रंग दिखने की अनुभूतियां बढ़ जाएंगी. उनके व्यवहार में अपनापन बढ़ेगा. सारी दुनिया अपनी सी लगने लगती है.
1. अपनी अनुभूतियां लगातार लिखें. ताकि मै शक्तिपात ले रहे साधकों की उर्जाओं का निरीक्षण कर सकूं.
2. कुछ साधक जरूरत मंदों को भोजन दान नही दे रहे हैं. यदि एेसा ही रहा तो आने वाले दिनों में उनके पास मेरी उर्जायें जानी बंद हो जाएंगी. वे शक्तिपात का लाभ नही उठा सकेंगे.
3. कुछ लोगों ने देवत्व जागरण रुद्राक्ष के बारे में पुनः प्रश्न किये हैं. मेरा सुझाव है कि अपनी सुविधानुसार यथाशीग्र प्राप्त कर लें. या खुद अपने आप देवत्व जागरण रुद्राक्ष सिद्ध करके धारण कर लें.
4. शक्तिपात ले रहे साधक विद्यादान आरम्भ करें. मेरा सुझाव है कि शिवगुरू से जुड़ी पुस्तकों का दान करें.
5. शक्तिपात के दौरान जिन साधकों के मन में विचलन होता है वे साथ दिये चित्र को ध्यान से देंखे और शक्तिपात के दौरान बंद आखों से इसी चित्र के अनुरूप अपने आपको उर्जाओं में देखने की कोशिश करें.
सबका जीवन सुखी हो, यही हमारी कामना है.
शिव शरणं

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