
ऋषि-मुनि करते थे शक्तिपात.
सक्षम गुरू आज भी करते हैं शक्तिपात.
आप भी कर सकते हैं शक्तिपात.
शक्तिपात बड़े उद्देश्य वाली दुर्लभ अध्यात्मिक क्रिया है. इसके द्वारा सक्षम साधक दूसरों पर शक्तियों का संचरण करते हैं. जिससे शक्तिपात प्राप्त करने वाले व्यक्ति की आंतरिक शक्तियां जाग जाती हैं. अध्यात्मिक शक्तियां जाग जाती हैं. दैवीय शक्तियां जाग जाती हैं. कुंडली जाग जाती है. उर्जा चक्र जाग जाते हैं. आभामंडल जाग जाता है.
शास्त्रों में यहां तक बताया गया है कि शक्तिपात से सौभाग्य जाग जाता है.
शक्तिपाय से जन्मों से चले आ रहे पाप नष्ट हो जाते हैं. दुख नष्ट हो जाते हैं.
शक्तिपात करने वाला साधक ब्रह्मांडीय शक्तियों और ग्रहण करने वाले व्यक्ति के मध्य खुद को माध्यम के रूप में उपयोग करते है. कुछ गुरू अपनी तपस्याओं की उर्जाओं का दूसरों पर शक्तिपात कर देते हैं.
भगवान ने शक्तिपात करने की क्षमता सबको दी है.
जरूरत होती है उसका उपयोग करने की. जरूरत होती है खुद को ब्रह्मांडीय उर्जाओं से जुड़ने योग्य बनाने की. जरूरत होती है दूसरों के सूक्ष्म शरीर को छूने की काबिलियत की.
थोड़े से सदाचरण, थोड़े से ज्ञान और थोड़े अभ्यास से कोई भी शक्तिपात करने योग्य बन जाता है. इसमें अधिक समय नही लगता.
जो शिवशिष्य हैं उन्हें शिवगुरू की शक्तियों का शक्तिपात करने का अधिकार है.
इसलिये मैने उन्हें मृत्युंजय शक्तिपात सिखाने का निर्णय लिया है.
शक्तिपात सीखने के इच्छुक साधक अपना शिव ज्ञान जागरण रुद्राक्ष सिद्ध कर लें. कुछ विद्या दान और भोजन दान नियमित शुरू करें. इतनी तैयारी के साथ मेरे पास आयें. मै उन्हें शक्तिपात से अपना और दूसरों का जीवन बदलने योग्य बनने की तकनीक सिखाऊंगा.
सबका जीवन सुखी हो यही हमारी कामना है.
शिव शरणं.