शिव दीक्षा से कुंडली आरोहण-1 सफलता सबका अधिकार
सभी अपनों को राम राम
मै जब सफल लोगों की उर्जाएं चेक करता हूं तो उनकी कुंडली एक्टिव मिलती है.
जब असफल लोगों की उर्जाओं को चेक करता हूं तो उनकी कुंडली निष्क्रियता की दशा में मिलती है.
यह एक बड़ी सच्चाई है कि कुंडली की सक्रियता के बिना सफलतायें अधूरी रहती हैं.
ध्यान में रखना चाहिये कि सिर्फ कुंडली जागरण ही पर्याप्त नही होता. कुंडली तो पूर्व जन्मों से आई उर्जाओं के कारण भी जाग्रत हो जाती है. मगर उसके परिणाम तभी मिलते हैं जब कुंडली सक्रिय होकर ऊपर बढ़ती रहे.
इसलिये कुंडली का आरोहण अनिवार्य है.
*कुंडली आरोहण* का मतलब है उसका ऊपर की तरफ बढ़ते हुए उर्जा चक्रों की उर्जाओं का उपयोग करना.
सामान्य स्थितियों में कुंडली मूलाधार चक्र से नीचे 180 डिग्री पर स्थित होती है. जब इसका जागरण होता है तब 90 डिग्री पर व्यवस्थित हो जाती है. उसके बाद अपने भोज्य की तलाश में ऊपर बढ़ती है.
कुंडली का भोज्य है मस्तिष्क में बनने वाला तरल पदार्थ. जो दायीं तरफ गरम और बांयी तरफ ठंडा होता है. इडा, पिंगला नड़ियों के जरिये यह पदार्थ कुंडली पर टपकता है. जिसे पाकर कुंडली आरोहित होती है.
आरोहण के दौरान कुंडली क्रमशः मूलाधार, स्वाधिष्ठान, नाभि, मणिपुर, अनाहत, विशुद्धि, आज्ञा आदि चक्रों की शक्तियों का उपयोग करती हैं. उर्जा चक्रों की शक्तियां साधक को देव तुल्य बनाती हैं. सफलतायें दिलाती हैं.
बिना कुडली आरोहण के कोई भी व्यक्ति प्रसिद्ध नही हो सकता.
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि असंख्य एेसे लोगों की कुंडली भी जाग्रत हैं जिन्होंने कभी कोई साधना नही की. उनमें से तमाम एेसे लोग हैं तो नास्तिकता की श्रेणी में हैं. फिर भी उनकी कुंडली जाग्रत है. और आरोहित भी हो रही है. क्योंकि वे लोग प्रकृति का फार्मूला अपना रहे हैं.
प्रकृति का फार्मूला ये है कि शारीरिक और मानसिक श्रम लगतार किया जाये तो मस्तिष्क में तरल पदार्थ निरंतर बनता है. जो कि इडा और पिंगला नाडियों के द्वारा नीचे कुंडली तक पहुंचता है. जिसे पाकर कुंडली जाग्रत और आरोहित होती है.
आज के युग में जो लोग शारीरिक श्रम अधिक कर रहे हैं उनके पास मानसिक श्रम की कमी है. जो लोग मानसिक श्रम अधिक कर रहे हैं उनके पास शारीरिक श्रम की कमी है. यही कारण है कि लोगों की कुंडली को पर्याप्त भोज्य नही मिलता और वह उनके लिये तैयार नही पाती.
आगे मै बताउंगा एेसी स्थिति में भी अपनी कुंडली को कैसे उठाया जाये. कैसे उसे उर्जा चक्रों की शक्तियों में प्रवेश कराया जाये.
चक्रों पर कुंडली को कैसे स्थापित किया जाये. किस चक्र पर कुंडली कौन कौन से भौतिक सुख देती है.
क्योंकि सफलता सबका अधिकार है.
बिना कुंडली आरोहण के पूर्ण सफलतायें नही मिलतीं.
*सबका जीवन सुखी हो, यही हमारी कामना है*
*शिव शरणं*