सभी अपनों को राम राम

मेल पर किसी साधक ने अप्सरा सिद्धि की जानकारी चाही है. अपना फोटो भेजकर पूछा है उसकी उर्जा अप्सरा सिद्धि के लिये सक्षम है या नही.
साधक द्वारा पूछे गये सवाल पर मन में अन्य साधकों का विचार उत्पन्न हुआ. हमारे साथ वाट्सअप और फेसबुक ग्रुप से जुड़े तमाम साधक एेसे हैं जिनकी उर्जायें अप्सरा सिद्धि अर्जित करने योग्य मिलती हैं. वे चाहें तो अप्सरा को अपने जीवन में ला सकते हैं.
खासतौर से जिन साधकों ने यक्षिणी साधना की हैं, जिन साधकों ने विश्वमाता साधना की है. उनमें से अधिकांश इस सिद्धि के पात्र हैं. जो लोग नियमित महासाधना कर रहे हैं चेक करने पर मुझे उनकी कुंडली और उर्जा चक्र अप्सरा साधना के अनूकूल मिलते हैं. शिव दीक्षा प्राप्त साधकों के लिये अप्सरा सिद्धि साधना बड़ी सरल हो जाती है. साधनाओं के समय उन्हें शिवगुरू का सानिग्ध हर क्षण मिलता है.
सभी साधक ध्यान रखें जीवन में साथ चल रही समस्याओं के आधार पर अपनी साधना क्षमता का आकलन न करें. समस्यायें प्रारब्ध का बदला हुआ स्वरूप हैं. प्रारब्ध समय चक्र के समानांतर हमारे साथ चलता है. किसी को दुखी या परेशान देखकर यह नही कहा जा सकता है कि ये व्यक्ति आध्यात्मिक तौर पर कमजोर है.
आध्यात्मिक क्षमतायें और प्रारब्धवश चल रही परेशानियां दोनो अलग अलग विषय हैं. साधक अपना आध्यात्मिक आकलन करते समय इस बात को ध्यान में रखें. ये अलग बात है कि आध्यात्मिक क्षमतायें और प्रारब्ध प्रायः एक दूसरे को प्रभावित करते रहते हैं.
आज के युग में तथाकथित तर्कशास्त्रियों और वैज्ञानिकों के नजरिये से अप्सरा कल्पना का विषय है.
मगर एेसा है नही. अप्सरा साधना सिद्धि एक बड़ी सच्चाई है. धरती पर असंख्य लोगों ने अप्सरायें सिद्ध की हैं. अप्सरायें मनुष्य योनि में जन्म भी लेती हैं. जो लोग गंधर्व लोक की उर्जाओं को रीड करना जानते हैं उन्हें पता है कि फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ी तमाम अभिनेत्रियां पूर्व में अप्सरा थीं. किसी कारण दोष लगा और उन्हें मनुष्य योनि में आना पड़ा. इसी तरह अन्य क्षेत्रों में भी अप्सराओं का जन्म मिलता है.
यह चौरासी लाख योनियों का चक्र है, इस पर फिर कभी विस्तार से चर्चा करेंगे.
आज अप्सरा सिद्धि की बात करते हैं.
भगवान शिव द्वारा उर्वसी अप्सरा को धरती पर उतारने का जिक्र कुछ साधना विधानों में मिलता है. ऋषिकाल से साधक अप्सराओं को सिद्ध करके अपने जीवन में शामिल करते आये हैं. उन्हें साक्षात् देव मित्र बनाते आयें हैं. कुछ साधक उन्हें प्रेमिका, पत्नी के रूप में सिद्ध करते हैं. महिला साधक उन्हें सहेली बना लेती हैं.
अप्सरा किसी भी रूप में सिद्ध की जाये, जीवन में उसकी उपस्थिति साधक को समृद्धिशाली बना ही देती है. साथ ही साधक का जीवन उत्साह, उमंग से भर जाता है. सदैव प्रशन्नता और उत्सव का अहसास बना रहता है. कुछ उपलब्धियां एेसी हैं जिन्हें सार्वजनिक रूप से नही लिखा जा सकता.
साधक का रूप रंग कैसा है. जाति धर्म क्या है. उम्र क्या है. इसका अप्सरा सिद्धि से कोई लेना देना नही.
इस साधना में कोई विशेष परहेज नहीं.
मैने अब तक जो पाया है उसके मुताबिक डिप्रेशन के शिकार लोगों को यह साधना नही करनी चाहिये. क्योंकि इस साधना को करते समय मन में खुशी उत्साह बना रहन जरूरी होता है. जबकि डिप्रेशन वाले लोग प्रायः उदासी और निराशा की उर्जाओं से घिरे रहते हैं.
जो लोग शिव दीक्षा ले चुके हैं उन्हें मेरी सलाह है कि अप्सरा साधना अवश्य करें. ताकि देव साक्षात्कार एक सच्चाई है यह विश्वास प्रबल हो सके.
अप्सरा सिद्धि के समय कुछ बातों का ध्यान जरूर रखें…
1. मंत्र का चयन सावधानी से करें. जो मंत्र आपके अनाहत चक्र से मैच करता हो उसी से अप्सरा सिद्धि करें. ध्यान रखें हर मंत्र हर किसी की उर्जाओं से मैच नही करता. यही कारण हैं कि किताबों में लिखी विधि अपनाकर साधना करने वाले अधिकांश साधकों को निराशा का सामना करना पड़ता है. कौन मंत्र किस उर्जा से मैच करता है यह गुरू या मार्गदर्शक ही बता सकता है. अप्सरा सिद्धि के लिये शास्त्रों में तमाम मंत्र उपलब्ध हैं.
2. मंत्र को अपने अनाहत चक्र और सूक्ष्म शरीर के 33 लाख से अधिक रोम चक्रों में अवश्य स्थापित करें. ताकि मंत्र जप विखंडन का शिकार न होने पाये.
3. साधना के समय अपनी सिल्वर काड (आध्यात्मिक तंत्रिका) को जिसे सिद्ध कर रहे हैं उस अप्सरा के आभामंडल के साथ लगातार जोड़कर रखें.
4. सुरक्षा के लिये भगवान शिव को साक्षी बनाकर ही अप्सरा साधना करें.
मुझे विश्वास है आप में से कई साधक इस अतींद्रीय सिद्धि को अर्जित करके जीवन को अपने और दूसरों के लिये कल्याणकारी बना लेंगे.
सबका जीवन सुखी हो, यही हमारी कामना है।
शिव शरणं