अब वो देवत्व महासाधना होगी.जो साधक महासाधना में नियमित शामिल हुए, उनकी कुंडली जाग्रत हो चुकी है.
जाग्रत कुंडली से काम लेना अनिवार्य होता है.
ये बड़ा काम है.
इसलिये कुछ जरूरी सावधानियों की अनिवार्यता होती है.
पिछले 2 माह में मैने महासाधना में शामिल 22 साधकों की जाग्रत कुंडली का उपयोग सिखाया.
उनमें 16 लोगों ने सावधानियों की अनदेखी की.
जिसके कारण शारीरिक और मानसिक आघात के शिकार हुए.
इसको देखते हुए तय किया कि लोगों को जाग्रत कुंडली का उपयोग खुद करना सिखाने की बजाय उनके भीतर देव तत्व को जगाया जाये.
देव तत्व में ब्रह्मांड के सभी रहस्यों और शक्तियों का उपयोग कर लेने की क्षमता होती है.
कुंडली शक्ति का भी.
देवतत्व प्रायः सभी शक्तियों का संतुलित उपयोग ही करता है.
इसीलिये महासाधकों के देवतत्व को जगाया जाये.
वैसे तो देवत्व सभी में होता है.
नकारात्मक भावनाओं की उर्जा उसे दबा देती हैं.
महासाधना के दौरान साधकों के देवत्व पर जमी नकारात्मक उर्जाओं को हटाया जाएगा. जिससे देवत्व निखरकर बाहर आ जाएगा.
देवत्व महासाधकों की जाग्रत कुंडली का सार्थक उपयोग कर लेगा.
सभी नियमित महासाधक भविष्य में देवत्व जागरण रुद्राक्ष पहनकर महासाधना करें.
देवत्व जागरण रुद्राक्ष के साथ महासाधना करने के पहले ही दिन से एक मंत्र बदल जाएगा.
महासाधना में जपा जा रहा मंत्र…
ऊं ह्रौं जूं सः माम् पालय पालय सः जूं ह्रौं ऊं.
बदलकर…..
*ऊं ह्रौं जूं सः देवत्व जागय जागय सः जूं ह्रौं ऊं.*
हो जाएगा. बाकी सारे नियम वही रहेंगे.
नकारात्मकता हटाते रहने के कारण देवत्व रुद्राक्ष की क्षमता 41 दिन से अधिक नही रह पाती. इसलिये देवत्व रुद्राक्ष को 41 दिन में बदलते रहें.
देवत्व को सबसे अधिक नुकसान आलोचना की उर्जा से होता है.
इसलिये आलोचना से बचें.
जो लोग आलोचना से खुद को नही बचा रोक सकते. वे आवश्कतानुसार देवत्व रुद्राक्ष को समय समय पर बदलते रहें.
देवत्व जागरण के लक्षण….
1. व्यक्तित्व में निखार
2. अस्तित्व में निखार
3. लोगों का आकर्षण
4. धन का आकर्षण
5. रुकावटों का निराकरण
6. सम्मान में बढ़ोत्तरी
7. नये अवसर
8. दया भाव
9. क्षमा भाव
10 सेवा भाव
11. अपने अलावा दूसरों के भी कल्याण की क्षमता
आपका जीवन सुखी हो यही हमारी कामना .