हमारे प्रधानमंत्री ने एक क्रांतिकारी कदम उठाया है. उनको सहयोग करना हमारा राष्ट्रीय धर्म है.
आपमें से कोई भी ए टी एम या बैंक की लाइन में न जायें. जितना घर में है कुछ दिन उसी से काम चलायें. यकीन मानिये काम चल जाएगा.
*8 नवं. से मेरे पास 10-10 के कुछ नोट पड़े हैं. अब तक कोई काम नही रुका. बस रुकी है तो फिजूलखर्ची*.
ए टी एम या बैंकों में लाइन लगाने वालों में से 96 प्रतिशत वे लोग हैं. जिन्हें तत्काल पैसे की जरूरत नही. वे कहीं जरूरत न आ जाये, मात्र इस आशंका में पैसे लेकर घर में जमाकर रहे हैं. मैने ए टी एम या बैंक से पैसे लेकर आये 67 लोगों से बात की. उनमें से सिर्फ 2 ने जो कारण बताया वो जिन्यून था. बाकी सबका कहना था कि कभी भी जरूरत पड़ सकती है. इसलिये घंटों लाइन में खड़े हुए. इसी को लेकर तनाव में हैं.
ये कैसी समझदारी.
जिनके खातों में पैसे ही नही हैं, उन्हें कोई तनाव नही, किसी लाइन में खड़े रहने की जल्दी नहीं. कुुछ असुविधायें तो हैं, मगर ये संयम का समय है. अगर पहले की तरह बिना जरूरत ए टी एम और बैंक न जाये. तो पाएंगे कि सब कुछ तेजी से सामान्य हो गया. ध्यान ऱखें जिंदगी में बिना अधिक पैसों के जिंदा रहने के एेसे मौके बार बार नही आएंगे. इसे इसी रूप में एंज्वाय कर लें. क्योंकि अभी किसी दिखावे की जरूरत नही बची.