22 मई 2016
राम राम
कायाकल्प साधना – संजीवनी अमृत से स्नान
प्रणाम मैं सोमेश
आज दिल्ली आश्नम में शिवप्रिया जी ने कायाकल्प साधना करायी. कायाकल्प मतलब एक नया जीवन, खुद का जीर्णोद्धार करना. आज आश्नम में सभी साधक हेल्थ मेडिटेशन साधना के लिए एकत्रित हुए थे. साधना शुरू होने से पहले अरुण जी ने बताया आज हेल्थ मेडिटेशन से भी बडी कायकल्प साधना होने वाली है जो की सभी रोगो से मुक्ति पाने मे सक्षम है. सभी साधक खुश हो गये. और साधना के लिए तैयार हो गये. साधना लगभग 1:30 घंटे की थी.
साधना का स्थान था समुद्र का किनारा और साधना स्थल तक जाने का मार्ग स्वर्ण मार्ग था. शिव प्रिया जी ने साधना शुरू करायी. सभी साधको ने आखे बंद की और शिव प्रिया जी के निर्देशो को फोलो करने लगे. सभी की चेतना शिव प्रिया जी के बताये अनुसार आगे बढने लगी. साधना स्थल का मार्ग बहुत ही सुन्दर और मन को मोह लेने वाला था. स्वर्ण पथ पर चलने पर पैरो को बहुत मूलायम महसूस हो रहा था. पक्षियो की चहचाहट, हवायो की आवाज, समुद्र के पानी की आवाज मन को बहुत छु रही थी. चारो तरफ हरियाली थी ऊचे-ऊचे पहाड थे. पानी के झरने थे. प्रकृति का ऐसा नजारा कभी नही देखा था. शिव प्रिया जी के निर्देशो को फोलो करते करते सभी साधको की चेतना समुद्र तट तक पहुच गयी. और फिर समुद्र के शीतल जल को ग्रहण करके साधना शुरू हुई. शिव प्रिया जी के बताये अनुसार सभी साधक ऊर्जा चक्रो पर ध्यान लगाते गये और शिव प्रिया जी ने सभी ऊर्जा चक्रो को ऊर्जित किया. इस दोराना सभी साधको को दिव्य अनुभुति हुई. मुझे मूलााधार चक्र के समय बहुत गर्मी लग रही थी, स्वाधिस्थान चक्र के समय ठंडा महसूस हो रहा था, मणिपुर चक्र के समय बहुत ही हल्का महसूस हो रहा था गिली मिट्टी की खुशबू आ रही थी, अनाहट चक्र के समय बहुत खुशी महसूस हो रही थी मन झूम रहा था और भगवान शिव साक्षात दिख रहे थे ऐसे हर चक्र के समय अलग अलग अनुभव थे. जब भी शरीर मे कही भी तकलीफ होती तभी एनर्जी का एक झोका आता और सब सामन्य हो जाता.
फिर सभी साधक समुद्र किनारे से उठ शिव प्रिया जी को फोलो करते हुए पहाड पर बने साधना कक्ष की ओर बढ़ने लगे. साधना कक्ष से एनर्जी निकलती हुई दिखाई दे रही थी. साधना कक्ष मे प्रवेश करने पर लगभग सभी साधको को गुरूजी वहा पहले से ही स्वागत करते नजर आये. और फिर सभी साधको ने अपना-अपना आसन लिया और भगवान शिव और गुरूजी को प्रणाम करके साधना का मंत्र जाप शुरू कर दिया.
इसके बाद जो होने वाला था बह बहुत ही दिव्य और अनोखा था. साधना कक्ष से सभी साधको को झरने के किनारे ले जाया गया. वह झरना कोई सामान्य झरना नही था. झरने से संजीवनी अमृत गिर रहा था. सभी साधको को झरने से गिरते हुई संजीवनी अमृत से स्नान करना था. इस संजीवनी स्नान से सभी का काया कल्प हो रहा था. शरीर का हर अंग नया हो रहा था. रोम रोम जाग रहा था. सभी ऊर्जा चक्र बिलकुल नये हो रहै थे. सच मे बह बहुत ही दिव्य, रोमानचक और अनोखा अनुभव था. सभी साधको की चेतना स्नान के बाद शिव प्रिया जी के निर्देशो को फोलो करते हुए पुन: साधना कक्ष मे पहुची और आसन पर बैठ कर भगवान शिव को राम राम सुनाने लगे. नये शरीर और जीवन के लिए भगवान शिव का धन्यवाद किया गुरूजी का धन्यवाद किया शिव प्राया जी का धन्यवाद किया खुद का धन्यवाद किया. और फिर शिव प्रिया जी सभी की चेतना को उसी रास्ते से वापस ले आयी. और सभी साधको ने आखे खोली और फिर शिव चर्चा की, सभी के अनुभव दिव्य थे.
धन्यवाद !